विधि निर्देश:-
1. पिघले गोघृत में गोमय हवन कुंड हल्का डूबा ले व पैक कर सूखे स्थान में रखें जब हवन करना हो एक-एक निकाल कर प्रयोग करें।
2. यज्ञवेदी में घृतयुक्त रूई बत्ती को लगाकर प्रज्वलित करें।
3. यज्ञवेदी पर गोमय हवन कुंड रख प्रज्वलित होने दें।
4. प्रज्वलित हो जाने पर आवश्यकता अनुसार घृत व सामग्री की मन्त्रोचारण पूर्वक आहुति दें।
5. यज्ञाग्नि शांत होने पर गुग्गुल, दिव्येष्टि आदि सुगंधित द्रव्य अथवा रोगानुसार हवन सामाग्री में गुग्गुल, गाय का घी मिलाकर अंगार पर रखें और उठ रही मंद सी धूनी वाले वायुमंडल में योग साधना करें।
Best before 36 months from the date of packaging.